फाराडे का विद्युत-संश्लेषण कानून रसायन विज्ञान और विद्युत अभियांत्रिकी में एक सिद्धांत है जो विद्युत आवेश जो एक विद्युत-संश्लेषण सेल से गुजरता है और इलेक्ट्रोडों पर उत्पन्न या खपत किए जाने वाले पदार्थ की मात्रा के बीच संबंध का वर्णन करता है। इसका नाम इंग्लिश वैज्ञानिक माइकल फाराडे के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में इसे पहली बार वर्णित किया था।
फाराडे के कानून के अनुसार, एक विद्युत-संश्लेषण सेल के इलेक्ट्रोडों पर उत्पन्न या खपत किए जाने वाले पदार्थ की मात्रा वहाँ से गुजरने वाले विद्युत आवेश की मात्रा के अनुक्रमानुपाती होती है। यह संबंध निम्नलिखित समीकरण द्वारा वर्णित है:
m = Q / zF
जहाँ:
m इलेक्ट्रोडों पर उत्पन्न या खपत किए जाने वाले पदार्थ का द्रव्यमान (ग्राम में)
Q सेल से गुजरने वाला विद्युत आवेश (कूलॉम में)
z पदार्थ का वैलेन्स (प्रति आयन ट्रांसफर होने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या)
F फाराडे नियतांक, जो एक भौतिक नियतांक है जो विद्युत आवेश की मात्रा और उत्पन्न या खपत किए जाने वाले पदार्थ के मोलों की संख्या के बीच संबंध बताता है।
फाराडे का विद्युत-संश्लेषण कानून रसायन विज्ञान में एक मूलभूत सिद्धांत है और इसका उपयोग विद्युत-संश्लेषण सेलों की व्यवहार की भविष्यवाणी करने और विद्युत आवेश, धारा और रासायनिक अभिक्रियाओं के बीच संबंध समझने के लिए किया जाता है। यह विद्युत-रसायन शास्त्र के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो विद्युत और रासायनिक अभिक्रियाओं के बीच संबंधों का अध्ययन करता है।
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