 
                            जब एक प्रेरण मोटर (Induction Motor) का लोड अचानक बदलता है, तो मोटर की गतिविधि में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यहाँ कुछ सामान्य परिस्थितियाँ और उनकी व्याख्या दी गई है:
1. लोड वृद्धि
जब लोड अचानक बढ़ता है:
गति कमी: मोटर की गति तुरंत कम हो जाएगी क्योंकि मोटर को बढ़ी हुई लोड को संभालने के लिए अधिक टोक़ चाहिए। गति की कमी की मात्रा लोड वृद्धि के परिमाण और मोटर की जड़ता पर निर्भर करती है।
विद्युत धारा वृद्धि: अतिरिक्त टोक़ प्रदान करने के लिए, मोटर की धारा बढ़ जाएगी। यह इसलिए होता है क्योंकि मोटर को एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए अधिक विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिससे आवश्यक टोक़ प्रदान किया जा सके।
पावर फैक्टर परिवर्तन: जैसे-जैसे धारा बढ़ती है, मोटर का पावर फैक्टर कम हो सकता है क्योंकि मोटर को एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र बनाने के लिए अधिक अभिक्रिय शक्ति की आवश्यकता होती है।
ताप वृद्धि: धारा की वृद्धि से मोटर के अंदर ताप उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे मोटर का तापमान बढ़ सकता है। लंबे समय तक उच्च तापमान बना रहने से मोटर के अलग-अलग इन्सुलेशन सामग्री को नुकसान पहुँच सकता है।
2. लोड कमी
जब लोड अचानक कम होता है:
गति वृद्धि: मोटर की गति तुरंत बढ़ जाएगी क्योंकि मोटर को अब लोड को चलाने के लिए कम टोक़ की आवश्यकता होती है। गति वृद्धि की मात्रा लोड कमी के परिमाण और मोटर की जड़ता पर निर्भर करती है।
धारा कमी: कम लोड को संभालने के लिए, मोटर की धारा कम हो जाएगी। यह इसलिए होता है क्योंकि मोटर को आवश्यक टोक़ उत्पन्न करने के लिए कम विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
पावर फैक्टर परिवर्तन: जैसे-जैसे धारा कम होती है, मोटर का पावर फैक्टर बेहतर हो सकता है क्योंकि मोटर को चुंबकीय क्षेत्र बनाए रखने के लिए कम अभिक्रिय शक्ति की आवश्यकता होती है।
ताप कमी: धारा की कमी से मोटर के अंदर ताप उत्पन्न होने की संभावना कम हो जाती है, जिससे मोटर का तापमान कम हो सकता है।
3. चरम स्थितियाँ
ओवरलोड संरक्षण: यदि लोड वृद्धि बहुत बड़ी हो और मोटर की अधिकतम क्षमता से अधिक हो, तो मोटर के संरक्षण उपकरण (जैसे थर्मल रिले या सर्किट ब्रेकर) बिजली को कट देने और मोटर को क्षति से बचाने के लिए चल सकते हैं।
स्लिप आउट: चरम स्थितियों में, यदि लोड वृद्धि बहुत बड़ी हो, तो मोटर स्लिप आउट हो सकता है, अर्थात् यह घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र का अनुसरण नहीं कर पाएगा, जिससे मोटर रुक जाएगा।
4. डायनामिक प्रतिक्रिया
टोक़-गति विशेषता: एक प्रेरण मोटर की टोक़-गति विशेषता वक्र मोटर के विभिन्न गतियों पर टोक़ उत्पादन दिखाता है। जब लोड बदलता है, तो मोटर का संचालन बिंदु इस वक्र के अनुसार चलता है।
डायनामिक प्रतिक्रिया समय: मोटर का लोड बदलावों पर प्रतिक्रिया समय मोटर की जड़ता और नियंत्रण प्रणाली पर निर्भर करता है। बड़े मोटरों का सामान्यतः लंबा प्रतिक्रिया समय होता है, जबकि छोटे मोटरों का छोटा प्रतिक्रिया समय होता है।
5. नियंत्रण रणनीतियाँ
अचानक लोड बदलावों को संभालने के लिए, निम्नलिखित नियंत्रण रणनीतियाँ उपयोग की जा सकती हैं:
वेरिएबल फ्रिक्वेंसी ड्राइव (VFD): VFD का उपयोग करके मोटर की गति और टोक़ को समायोजित किया जा सकता है, जिससे यह लोड बदलावों को बेहतर ढंग से संभाल सकता है।
सॉफ्ट स्टार्टर: सॉफ्ट स्टार्टर का उपयोग करके मोटर की शुरुआत को चिकना किया जा सकता है, जिससे शुरुआत के दौरान इनरश करंट कम हो सकता है।
फीडबैक नियंत्रण: सेंसरों के साथ मोटर की गति और धारा की निगरानी करके वास्तविक समय में इनपुट को समायोजित करने से स्थिर संचालन बनाए रखा जा सकता है।
सारांश
जब लोड अचानक बदलता है, तो एक प्रेरण मोटर में गति और धारा में परिवर्तन होता है। लोड वृद्धि के परिणामस्वरूप गति कम हो जाती है और धारा बढ़ जाती है, जबकि लोड कमी के परिणामस्वरूप गति बढ़ जाती है और धारा कम हो जाती है। चरम स्थितियों में, अतिरिक्त लोड बदलाव ओवरलोड संरक्षण उपकरणों को चला सकता है या मोटर को स्लिप आउट कर सकता है। लोड बदलावों को संभालने की क्षमता में सुधार के लिए, VFD, सॉफ्ट स्टार्टर और फीडबैक नियंत्रण जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
 
                                         
                                         
                                        